कंप्यूटर पर निबन्ध : क्या है?, उपयोग, विशेषताएँ, सीमाएँ

COMPUTER


प्रस्तावना (Introduction)
कम्प्यूटर का आविष्कार बीसवीं सदी की एक महान उपलब्धि है। आज कम्प्यूटर को
किसी परिचय की आवष्यकता नहीं है। आज जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें कम्प्यूटर
का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। वैज्ञानिक अनुसंधान, व्यापार, उद्योग, पर्यावरण, मौसम विज्ञान,
अन्तरिक्ष अभियान, संचार, यातायात, चिकित्सा, षिक्षा, मनोरंजन आदि सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर का
उपयोग अपरिहार्य हो चुका है। विष्व भर के कम्प्यूटरों के परस्पर जुड़ाव से बने संचार तन्त्र
इन्टरनेट का प्रभाव इतना जबरदस्त रहा है कि इसने एक नए युग ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी युग‘‘ का
सूत्रपात कर दिया है। आज के इस सूचना प्रौद्योगिकी के युग में कम्प्यूटर के बिना जीवन की
कल्पना करना असम्भव है।
मानवता के विकास के सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर का योगदान रहा है। कम्प्यूटर ने अनेक
जटिल समस्याओं को सुलझाया है तथा बहुत से असम्भव कार्यो को सम्भव बनाया है। भारत
जैसे-विकासशील देष के लिए तो कम्प्यूटर अत्यन्त आवष्यक है, क्योंकि कम्प्यूटर राष्ट्र की
आर्थिक स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कम्प्यूटर क्या है (What is a computer)
कम्प्यूटर षब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के कम्प्यूट Compute शब्द से हुई जिसका अर्थ
है-गणना या गिनती करना। वास्तव में कम्प्यूटर के आविष्कार का मूल उद्देष्य शीघ्र गणना करने
वाली मशीन का निमार्ण करना ही था। किन्तु आज कम्प्यूटर द्वारा किया जाने वाला 80 प्रतिषत
से अधिक कार्य गणितीय या सांख्यकीय प्रकृति का नहीं होता। अतः कम्प्यूटर को मात्र एक गणना
करने वाली युक्ति (device) के रूप में परिभाषित करना इसके 80 प्रतिषत कार्य को उपेक्षित
करना है। कम्प्यूटर में गणना करने की क्षमता के अतिरिक्त तार्किक षक्ति एवं मैमोरी का भण्डार
होता है तथा पलक झपकते ही यह निर्देषों की पालना कर सकता है। आज कम्प्यूटर की अधिमान्य परिभाषा निम्न है:-
कम्प्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रानिक मशीन है, जिसमें हम अपरिष्कृत आंकड़े देकर
प्रोग्राम के नियन्त्रण द्वारा उन्हें अर्थपूर्ण सूचनाओं में परिवर्तित कर सकते हैं।
अपरिष्कृत आंकड़े (Raw Data) सूचनाओं, आंकड़ों आदि के रूप में कम्प्यूटर को दिए
जाने वाले आगम (Input) होते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम किसी कक्षा में विद्यार्थियों की अंक
तालिका बनाना चाहते हैं तो इसके लिए उन विद्यार्थियों के रोल नम्बर, नाम, कक्षा, विषय, प्राप्तांक
आदि की आवष्यकता होगी। इन्ही जानकारियों को अपरिष्कृत आंकड़े कहा जाता है।
कम्प्यूटर की किसी विषिष्ट भाषा में लिखे गए निर्देषों के समूह को प्रोग्राम (Program)
कहते हैं। कम्प्यूटर इन प्रोग्रामों द्वारा नियन्त्रित होते हैं। यहां भी हम अंक तालिका का उदाहरण
लेते हैं। अंक तालिका निकालने के लिए भी एक प्रोग्राम बनाना पड़ता है। मान लीजिए इस प्रोग्राम
में पहिले निर्देष के अन्तर्गत रोल नम्बर भरना है, फिर नाम, फिर कक्षा और फिर अगले निर्देषों
के अन्तर्गत विषय वार प्राप्तांक भरने हैं। उसके बाद वह प्रोग्राम पलक झपकते ही बिना किसी
मानवीय श्रम के सभी प्राप्तांको का योग, प्रतिषत, श्रेणी, वरीयता क्रमांक आदि जानकारियाँ दे
देगा।
इन्टरनेट पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर की वेबसाइट का
होमपेज
अर्थपूर्ण सूचनाएं (Meaning full information) कम्प्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से प्राप्त होने
वाले वे परिणाम है जिनसे कोई अर्थ निकलता हो तथा वे उपयोगी हो। अर्थपूर्ण सूचनाएं
अव्यवस्थित, एकाकी, मूल आंकड़ों का व्यवस्थित रूप है। उदाहरण के लिए अंक तालिका में जब
परिणाम के रूप में प्राप्ताकों का योग, प्रतिषत, श्रेणी, वरीयता क्रमांक आदि निकालते हैं तो इन्हे
अर्थपूर्ण सूचनाएं कहा जाता है।
कम्प्यूटर के विविध उपयोग (Different Uses Of Computer)
कम्प्यूटर का उपयोग बड़ा व्यापक है। आज जीवन में कम्प्यूटर की उपयोगिता इतनी
अधिक हो गई है कि आज का युग ही कम्प्यूटर युग कहलाता है।
कम्प्यूटर के आविष्कार से बहुत सी गणनाएँ जो कि मानव के वष की बात नहीं थी, अब
आसान हो गई है। वस्तुतः कम्प्यूटर का अविष्कार ही गणना को स्वचालित एवं परिषुद्धता से करने
के उद्देष्य से हुआ था। ऐसे क्षेत्र जिनमें समयबद्धता एवं परिषुद्धता की अत्यधिक आवष्यकता होती
है कम्प्यूटर का उपयोग अपरिहार्य है। मौसम सम्बन्धी पूर्वानुमान, अन्तरिक्ष अनुसंधान सम्बन्धी
प्रक्रियाएँ, नाभिकीय संयत्रों का संचालन आदि ऐसे कुछ विषिष्ट क्षेत्र हैं जिनका कम्प्यूटर के बिना
विकास ही सम्भव नहीं था। चन्द्रमा पर मानव का कदम कम्प्यूटर की परिषुद्ध एवं तीव्र गति गणना
के कारण ही सम्भव हो पाया है।
कम्प्यूटर के उपयोग से संचार क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आए हैं। आज मात्र कुछ बटन
दबाकर विष्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से सम्पर्क किया जा सकता है और वह भी बहुत
कम खर्च में। इन्टरनेट तो सूचना प्रसारण एवं सूचना प्राप्ति का एक बहुत सषक्त माध्यम है। यह
सूचनाओं एवं ज्ञान का अथाह भण्डार भी है जहाँ से कोई भी सूचना एवं जानकारी पलभर में प्राप्त
की जा सकती है। परीक्षा परिणाम धोषित होते ही इन्टरनेट से परीक्षार्थियों को अपने परिणाम एवं
प्राप्तांको की जानकारी हो जाती है।
ई-मेल का प्रारूप
इन्टरनेट पर उपलब्ध टेलीफोन डायरेक्ट्री से किसी के भी टेलीफोन नम्बर ज्ञात किए जा
सकते हैं। रेल, बस, हवाई जहाज की समय सारिणी तथा इनके चलने की वास्तविक स्थिति ज्ञातकी जा सकती है। भारतीय रेल की एक सामान्य पैसेन्जर ट्रेन की वर्तमान स्थिति की जानकारी
इन्टरनेट पर उपलब्ध रहती है। इन्टरनेट पर विष्व के सभी प्रमुख समाचार पत्र उपलब्ध हैं।
इन्टरनेट से आप विष्व के किसी भी कोने में बैठे राजस्थान के समाचार पत्र के किसी भी क्षेत्रीय
परिषिष्ठ को पढ़ सकते हैं। घर बैठे ट्रेन का रिजर्वेषन करवा सकते हैं, टेलीफोन बिल, बैंक बैलेन्स
आदि की जानकारी ले सकते हैं। षायद ही कोई ऐसी सूचना या जानकारी हो, जो इन्टरनेट पर
उपलब्ध नहीं हैं। अनुसंधान कत्र्ताओं और लेखकों के लिए तो इन्टरनेट एक बहुत अच्छे सन्दर्भ
स्त्रोत का कार्य करता है। इन्टरनेट पर उपलब्ध ई-मेल के द्वारा सन्देषों को एक कम्प्यूटर से दूसरे
कम्प्यूटर पर भेजा जा सकता हैं। ई-मेल से सन्देष भेजने में बहुत कम खर्च आता है तथा समय
की भी बचत होती है। जिस क्षण सन्देष भेजा जाता है वह दूसरे ही क्षण विष्व के किसी भी कोने
में स्थित कम्प्यूटर पर पहुंच जाता है। एक अन्य सुविधा जिसे चैटिंग (Chatting) कहा जाता है
के द्वारा सन्देषों का आदान-प्रदान तत्काल किया जा सकता है। इन्टरनेट पर उपलब्ध एक अन्य
सुविधा जिसे नेट टेलीफोनी (Net Telephoney) कहते हैं, का उपयोग कर किसी फोन से भी
सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है। नेट टेलीफोनी में सामने वाले व्यक्ति के पास कम्प्यूटर होना
जरूरी नहीं है। नेट टेलीफोनी से विदेषों में बातचीत करने का खर्च बहुत ही कम आता है। अब
नेट टेलीफोनी भारत में भी वैध हो गई है। विडियो काॅनफ्रेंसिंग में तो टेलीफोन पर बातचीत करते
हुए एक दूसरे को देखा भी जा सकता है।व्यापारिक जगत में भी कम्प्यूटर का उपयोग खूब बढ़ा है। साधारण हिसाब-किताब या लेखा के संधारण से लेकर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय षेयर बाजार का प्रबन्धन आज कम्प्यूटरों द्वारा
किया जा रहा है। कम्प्यूटर और इन्टरनेट के संयोग से एक नई व्यापार प्रणाली प्रचलन में आई है जिसे ई-कामर्स (Ecommerce) कहते हैं। वस्तुओं और सेवाओं को इन्टरनेट के जरिये
खरीदना एवं बेचना ही ई-कामर्स कहलाता है। इससे उत्पादकों एवं विक्रेताओं को वस्तुओं एवं
सेवाओं के विष्वव्यापी बाजार मिले हैं तथा व्यापारिक सूचनाओं के आदान-प्रदान के समय एवं
लागत में भारी कमी हुई है। आज गृहणियाँ इन्टरनेट के द्वारा अपने घरेलू उपयोग की वस्तुएं घर
बैठे खरीद रही हैं, घर बैठे सिनेमा के टिकट, होटलों की बुकिंग एवं यात्रा टिकटों के आरक्षण कराए जा रहे हैं।ई-कामर्स का ही एक भाग है ई-बैंकिग। इन्टरनेट के जरिये खाता धारक अपने बैंक खाते का बैलेन्स देख सकते हैं, एक खाते से दूसरे खाते में राषि स्थानान्तरित कर सकते हैं। टेलीफोन, बिजली, पानी का बिल भर सकते हैं अथवा कोई लेन-देन कर सकते हैं। ई-बैंकिंग के ही अन्तर्गत बैंकों द्वारा एक और सुविधा अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराई जा रही है- वह है ए.टी.एम. (A.T.M)। ए.टी.एम. का पूरा नाम है आॅटोमेटिक टेलर मशीन (Automatic Teller Machine) अर्थात स्वचालित गणक मशीन। ए.टी.एम. द्वारा जमाकर्ता किसी भी समय तथा किसी भी स्थान पर रकम निकलवा सकता है। इसलिए ए.टी.एमको
प्रचलित अर्थ में एनी टाइम मनी (Any Time Money) भी कहा जाता है। कार्यालयों में टाइप राइटर का स्थान तो कम्प्यूटर ने ले ही लिया है, इसके अतिरिक्त कार्यालयों में होने वाले सभी कार्यों का लेखा-जोखा, संस्थापन विवरण, वेतन विवरण आदि संध् ाारण का कार्य भी कम्प्यूटर ही करता है। कम्प्यूटर ने ‘‘पेपर लैस आॅफिस’’ की अवधारणा को जन्म दिया है। प्रशासनिक नियन्त्रण के लिए ई-गवर्नेंस का सहारा लिया जा रहा है। पुस्तकालय में पुस्तकों का सम्पूर्ण ब्यौरा, पुस्तकालय सदस्यों का पूरा रिकार्ड, पुस्तकों को देना, लौटाना आदि का अभिलेख कम्प्यूटर द्वारा आसानी से रखा जा सकता है। प्रकाशन, मुद्रण कार्यों में भी अब कम्प्यूटर का उपयोग होता है। ये कार्य डेस्कटाॅप पब्लिशिंग (Desk Top Publishing - DTP) के अन्तर्गत आते हैं। परम्परागत छपाई का कार्य बहुत ही दुष्कर एवं श्रमसाध्य हुआ करता था, किन्तु अब कम्प्यूटर के उपयोग से यह बहुत ही आसान हो गया है।चिकित्सा के क्षेत्र में रोगों के निदान, उनके ईलाज, शल्य क्रिया, रोगियों की गहन निगरानी आदि कार्यों में कम्प्यूटर का उपयोग खूब किया जा रहा है। अल्ट्रासाउण्ड (Ultraound) सीटी स्केन
(CT Scan कम्प्यूटराइज्ड टोमोग्राफी), एम. आर. आई. (M.R.I) आदि कुछ परीक्षण ऐसे हैं जिनका
उपयोग विभिन्न बीमारियों एवं विकृतियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इन परीक्षणों में
कम्प्यूटर जनित चित्रों के माध्यम से रोगों का निदान बड़ी आसानी से हो जाता है।
अनियमित हृदय धड़कन वाले रोगियों में धड़कन नियन्त्रित करने वाला उपकरण
‘‘पेसपेकर’’ एक छोटा सा कम्प्यूटर ही है। आनुवंशिक अभियान्त्रिकी (Genetic Engineering)
के क्षेत्र में जहाँ विभिन्न डी.एन.ए. की संरचनाओं का अध्ययन किया जाता है, कम्प्यूटर का उपयोग
अपरिहार्य है। डी.एन.ए. फिंगर प्रिटिंग के द्वारा अनेक उलझे हुए अपराधिक प्रकरणों को सुलझाया
जाता है। जैव-चिकित्सा विज्ञान और कम्प्यूटर के संयोग से विज्ञान की एक नई शाखा
बायोइन्फारमेटिक्स(Bio-informatics) अस्तित्व में आई है।
शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग बहुत ही प्रभावी रूप में हो रहा है। कक्षा (Class Room) में विज्ञान प्रायोजनाओं के निर्माण, रिपोर्ट तैयार करने, जानकारियाँ एकत्रित करने तथा
अल्ट्रासाउण्ड स्केन             सी.टी. स्केन
अन्र्तक्रियात्मक अधिगम पूल (Interactive Learning Pool) के रूप में कम्प्यूटर का प्रचलन बढ़ा है।
कम्प्यूटर का उपयोग शिक्षक के पूरक के रूप में किया जा रहा है। कम्प्यूटर आधारित शिक्षण
(Computer Based Teaching - CBT) के अन्तर्गत ऐसे अनेक साॅफ्टवेयर उपलब्ध हैं जो विभिन्न
विषयों की क्रमबद्ध जानकारी देते हैं। मल्टीमीडिया (ध्वनि, चित्र, एनिमेशन एवं वीडियो से युक्त) सीबी.
टी. साॅफ्टवेयर किसी भी विषय को प्रभावी ढंग से समझाने में बहुत उपयोगी है। आजकल इन्टरनेट
के माध्यम से आॅनलाइन लर्निंग एवं ट्रेनिंग सम्भव है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थी अपने घर में बैठे हुए
अपने शिक्षक से बात कर सकता है तथा अपनी जिज्ञासाएँ शान्त कर सकता है। आज आभासी कक्षा
कक्ष (Virtual Class Room) वास्तविकता बन गए हैं।
अभियान्त्रिकी क्षेत्र में भी कम्प्यूटर ने अपना कमाल दिखाया है। किसी भवन, वस्तु,
कलपुर्जे आदि के निर्माण में कौन से पदार्थ का उपयोग बेहतर होगा तथा क्या वे आवश्यक तनाव
व ताप आदि सहन कर सकेंगे, आदि का निर्धारण कम्प्यूटर एड्ड इन्जिनियरिंग CAE) से बड़ी
आसानी से किया जा सकता है। बडे़ भवन, पुल, हवाई जहाज आदि के निर्माण में सी.ए.ई. का
प्रयोग सुरक्षा दृष्टि से अति आवश्यक है। कम्प्यूटर एड्ड डिजाईनिंग (CAD) के द्वारा किसी भी वस्तु
का भीतरी-बाहरी, विस्तृत एवं त्रिआयामी स्वरूप तैयार कर स्क्रीन पर देखा जा सकता है। कागज
पर निर्मित किसी घर के नक्शे को देखकर साधारणतः यह पता नहीं चलता कि उस घर का
वास्तविक रूप क्या होगा तथा पूरा बनने पर वह कैसा दिखेगा। किन्तु (CAD) के माध्यम से यह
सब घर बनने से पूर्व ही देखा जा सकता है। ऐसी परिस्थितियाँ जहाँ मानव के लिए कार्य करना
संकटमय हो सकता है, वहाँ रोबोट का उपयोग प्रारम्भ हो गया है। रोबोट कम्प्यूटर संचालित
यान्त्रिक मानव होता है।
कम्प्यूटर का मनोरंजन के क्षेत्र में भी बहुत उपयोग हो रहा है। आज अनेक ऐसे कम्प्यूटर
गेम उपलब्ध हैं जो न केवल मनोरंजन ही करते हैं अपितु ज्ञानवर्धन भी करते हैं तथा बच्चों की
बौद्धिक एवं तार्किक क्षमता का भी विकास करते हैं। कम्प्यूटर गेम इतने लोकप्रिय हैं कि छोटे
बच्चों को ही नहीं, बड़ी उम्र के लोगों को भी ये आकर्षित करते हैं। फिल्मों में कम्प्यूटर की सहायता
से विशेष प्रभाव (Special effects) युक्त ऐसे दृश्य तैयार कर लिए जाते हैं, जिनका वास्तव
में कोई अस्तित्व नहीं होता। आपने जुरासिक पार्क, गोडजिला, एनाकोंडा, लिटिल स्टुआर्ट आदि
फिल्में देखी होंगी। इन सभी फिल्मों में विशेष प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कम्प्यूटर का ही प्रयोग
किया गया है। कम्प्यूटर की ही मदद से पुरानी प्रसिद्ध भारतीय फिल्म मुगल-ए-आजमनया
दौरजो ब्लैक एण्ड व्हाइट थी, के रंगीन संस्करण तैयार कर लिए गये हैं।
टी.वी. चैनलों के प्रसारण में भी कम्प्यूटर ने स्थान बना लिया है। कम्प्यूटर की सहायता
से प्रसारण करने वाले चैनल डिजिटल चैनल कहलाते हैं। इनका प्रसारण सामान्य चैनल की तुलना
में बेहतर होता है।
संगीत की नई-नई धुनें बनाने में भी कम्प्यूटर का उपयोग होने लगा है। एक कम्प्यूटर
अनेक वाद्य यन्त्रों की ध्वनि उत्पन्न कर सकता है। कम्प्यूटर द्वारा संगीत रचना करना म्यूजिकल
इन्स्ट्रयुमेन्ट डिजिटल इन्टरफेस (MIDI) कहलाता है।
कम्प्यूटर आज हमारे घरों में भी प्रवेश कर गया है। जहाँ यह शिक्षा, मनोरंजन, पत्र लेखन,
ई-मेल, चैटिंग, इन्टरनेट से विभिन्न जानकारियाँ प्राप्त करने आदि विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होता
है।
इस प्रकार हम देखें तो पायेंगे कि कम्प्यूटर से हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं
रह गया है। आज यह केवल किसी वर्ग विशेष के लिए ही नहीं, बल्कि हर एक व्यक्ति के लिए
उपयोगी हो गया है।

कम्प्यूटर की विशेषताएँ (Characteristics of Computer)
कम्प्यूटर आधुनिक युग के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आइए देखें
कि कम्प्यूटर में ऐसी कौन सी विशेषताएँ हैं जो इसे इतना महत्वपूर्ण बना रही हैं। कम्प्यूटर की
मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं:-
1. गति (Speed)- कम्प्यूटर बहुत तीव्र गति से कार्य करता है। वह जटिल से जटिल
गणनाओं को भी कुछ सैकण्डों में हल कर देता है। एक पर्सनल कम्प्यूटर अरबों गणनाओं
को एक सैकण्ड से भी कम समय में कर सकता है। किसी कार्य को यदि कम्प्यूटर एक
मिनट में पूरा करता है तो इस कार्य को मानव द्वारा पूरा करने में उसका सम्पूर्ण जीवन
लग जाएगा।
2. शुद्धता (Accuracy)- कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम हमेशा शुद्ध होते हैं। कम्प्यूटर को
एक बार सही निर्देश देने के बाद वह सारे परिणाम सही निकालता है। कम्प्यूटर कभी
गलती नहीं करता। कम्प्यूटर से प्राप्त परिणामों में होने वाली गलतियाँ मानवीय गलतियों
के कारण होती हैं। कम्प्यूटर में खराबी आने से या वाइरस आ जाने से भी वह गलत
परिणाम निकाल सकता है।
3. सक्षमता (Diligency)- कम्प्यूटर कार्य करते-करते कभी भी थकता नहीं है तथा
निरन्तर कई घंटे कार्य करने के बाद भी उसी एकाग्रता एवं गति के साथ कार्य करता
रहता है।
4. स्मरण शक्ति (Power of Remembering) - कम्प्यूटर में भी मानव मस्तिष्क की
तरह स्मरण शक्ति ;डमउवतलद्ध होती हैं, जिसमें लाखों-करोड़ों आंकड़े ;क्ंजंद्ध संग्रह
करके रखे जा सकते हैं। आवश्यकतानुसार इन आंकड़ों को कभी भी फिर से देखा जा
सकता है।
5. व्यापक उपयोगिता (Versatility):- कम्प्यूटर का प्रयोग अनेक तरह के कार्यों में
किया जाता है। स्कूल, काॅलेज, अस्पताल, उद्योग, घर, कार्यालय, अनुसंधान, मौसम
विज्ञान, मनोरंजन आदि अनेक क्षेत्रोेें में कम्प्यूटर की महत्वपूर्ण भूमिका है।
6. स्वचालन (Automation) - कम्प्यूटर में स्वचालन का गुण होने से इसके प्रयोग से
मानव श्रम एवं समय की बचत होती है।
7. संग्रह क्षमता (Storage):- कम्प्यूटर की संग्रह क्षमता बहुत अधिक होती है। इसमें
लाखों-करोड़ों आंकडे़ं संग्रह करके रखे जा सकते हैं।
कम्प्यूटर की सीमाएँ (Limitations of Computer)

तनी विशेषताओं के बावजूद कम्प्यूटर की कुछ सीमाएँ भी हैं:-
1. कम्प्यूटर में सोचने व समझने की क्षमता नहीं होती। यह एक जड़ मशीन है तथा केवल
दिये गये निर्देशों पर ही कार्य करती है। बुद्धिमता की दृष्टि से दो वर्ष का बालक भी
एक कम्प्यूटर से अधिक बुद्धिमान होता है। वर्तमान में कुछ उच्च कोटि के कम्प्यूटरों में
कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence)डालने का प्रयास किया गया है। सम्भव है कि
कुछ समय बाद ऐसे कम्प्यूटर आ जायें जो सोच भी सकते हों।
2. कम्प्यूटर में स्वयं त्रुटि सुधार क्षमता का अभाव पाया जाता है। इसमें दिये गये निर्देश
पूर्णरूप से सही और सटीक होने चाहिए। क्योंकि कम्प्यूटर स्वयं उसमें सुधार नहीं कर
सकता। वह स्वयं कुछ नहीं करता उसे जो निर्देश दिया जाता है जितना कहा जाता है
वह सिर्फ उतना ही कार्य करता है।
3. कम्प्यूटर के द्वारा भौतिक कार्य करना लगभग असंभव है।
Previous
Next Post »

1 comments:

Click here for comments
Anonymous
admin
March 4, 2015 at 10:23 AM ×

thanks for such a wonderful essay :)

Congrats bro Anonymous you got PERTAMAX...! hehehehe...
Reply
avatar

आपके योगदान के लिए धन्यवाद! ConversionConversion EmoticonEmoticon