मेरी दोस्त


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जब मैं पहले दिन कॉलेज गया तो एक नवांगतुक लड़की से मित्रता हुई वो बहुत स्पष्टवादी, निर्भीक व अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली थी सयोंग्वश मेरे चाचा की लड़की की शादी थी मैंने उसे न्योता दे दिया। शादी में फेरों से पहले वर-पक्ष कि स्त्रियाँ जेवरो की कमी के बारे में कानाफूसी करने लगी। दबे स्वर में वे चाची से अरे जेवरो कि मांग कर रही थी। जब ये बात मेरी दोस्त ने सुनी, तो वो वरपक्ष की स्त्रियों के पास जाकर अपने सारे जेवर उन्हें देते हुए बोली ये रख लीजिए, शायद इन बेजान जेवरो की अहमियत किसी के मान-सम्मान से ज्यादा है। वर पक्ष लज्जित हुआ। वे लोग बिना हंगामा किये बहन को विदा कर ले गए। मुझे अपनी दोस्त पर गर्व है। क्या आप भी एसी दोस्तों निभा सकते है?
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